केदारनाथ में बद्रीनाथ की हार का धब्बा मिटा पाएगे महेंद्र भट्ट!
प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए केदानाथ का उपचुनाव माना रहा भट्ट का आखिरी चुनाव

जनादेश एक्सप्रेस/देहरादून
राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष की कुर्सी पर अब कुछ दिनों के ही मेहमान हैं। भाजपा के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही प्रदेश भाजपा को नया अध्यक्ष मिलना तय है। इन स्थितियों में केदारनाथ का उपचुनाव भट्ट के लिए अध्यक्ष बतौर आखिरी चुनाव होगा। सवाल सबसे बड़ा यही है कि क्या जाते-जाते महेंद्र भट्््््ट केदारनाथ में बद्रीनाथ चुनाव की हार का धब्बा मिटा पाएंगे या नहीं।
दरअसल, केदारनाथ का उपचुनाव भले ही पूरी भाजपा के लिए बेहद प्रतिष्ठापूर्ण बन चुका हो, लेकिन देखा जाए, तो महेंद्र भट्ट की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा भी दांव पर है। बद्रीनाथ सीट पर पिछले दिनों जिस तरह से भाजपा हारी, उसने महेंद भट्ट के नंबर कम ही किए हैं। इसकी वजह न सिर्फ उनका प्रदेश अध्यक्ष होना माना गया, बल्कि बद्रीनाथ के पूर्व विधायक के तौर पर भी पार्टी का प्रदर्शन न सुधार पाने से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा। हालांकि बद्रीनाथ सीट पर पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण प्रत्याशी के तौर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी का चयन रहा, जिनके दल-बदल से क्षेत्रीय जनता बेहद नाराज थी। भाजपा ने यह कहते हुए अपनी खाल बचाने की कोशिश की, कि बद्रीनाथ सीट पहले से ही कांग्रेस के पास थी, लेकिन इस सच्चाई ने उसे चुप करा दिया कि सत्तारूढ़ दल हमेशा उपचुनाव जीतता आ रहा था। हारने को भाजपा मंगलौर का उपचुनाव भी हारी, लेकिन सुर्खियों में बद्रीनाथ का चुनाव ही रहा।
केदारनाथ का उपचुनाव महेंद भट्ट के लिए इस वजह से तो अहम है ही कि वर्तमान में वे ही प्रदेश अध्यक्ष हैं, बल्कि एक वजह और भी है। यह वजह है कि केदारनाथ क्षेत्र का पूर्व में चमोली जिले का हिस्सा होना। वर्तमान में भले ही केदारनाथ क्षेत्र रूद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत है, लेकिन पूर्व में यह चमोली जिले का हिस्सा रहा है और वहां की राजनीति की छाप से वह आज तक मुक्त नहीं है। और तो और राज्य निर्माण से पहले बद्री-केदार नाम से एक ही विधानसभा सीट अस्तित्व में थी। महेंद्र भट्ट ने हमेशा से इस क्षेत्र की ही राजनीति की है। ऐसे में केदारनाथ सीट के परिणाम को उनके कामकाज के लिहाज से भी आंका जाएगा।
भट्ट का प्रदेश अध्यक्ष बतौर कार्यकाल इस वर्ष की शुरूआत में ही खत्म हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें बदला नहीं गया। इस बीच, वह राज्यसभा सदस्य भी बन गए हैं। अब जल्द ही पार्टी के संगठनात्मक चुनाव के बाद अध्यक्ष चुना जाना है। जाहिर तौर पर भट्ट जाते-जाते केदारनाथ सीट पर भाजपा को जिताने की इच्छा रखते हैं। ताकि पार्टी में उनका कद भी बढे़ और बद्रीनाथ हार की तकलीफ भी मिट सके। हालांकि यह बहुत आसान नहीं है। वैसे, भट्ट का दावा है कि केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा शानदार जीत दर्ज करेगी।