महकमों की कारस्तानी से जनता ही नहीं, सरकार भी परेशान
सीएस ने विभागों को लिखा पत्र, ठोक बजाकर ही कैबिनेट में लाएं योजनाओं के प्रस्ताव

जनादेश एक्सप्रेस/देहरादून
सरकारी महकमों की कारस्तानी से जनता तो त्रस्त है ही, सरकार खुद कम परेशान नहीं है। आलम यह है कि कैबिनेट बैठक के लिए योजनाओं के प्रस्ताव लाने से पहले उनकी ढंग से जांच पड़ताल नहीं की जा रही है। ऐसे में ये शिकायतें आ रही हैं कि जिस योजना का प्रस्ताव लाया गया है, उससे मिलती-जुलती योजना या तो उसी विभाग में पहले से चल रही है या फिर किसी दूसरे विभाग में गतिमान है। अब मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभागों को इस संबंध में करारी चिट्ठी लिख दी है। विभागों से ये ही भी कहा गया है कि वह अपनी वर्तमान योजनाओं का परीक्षण करें और समान प्रवृत्ति वाली योजनाओं के मर्जर का प्रस्ताव प्रस्तुत करें।
दरअसल, राज्य निर्माण के बाद यह कार्य संस्कृति विकसित ही नहीं हो पाई है, जिसमें विभागों के बीच समन्वय दिखाई दे। अक्सर निर्माण कार्यों के दौरान तालमेल के अभाव से उपजे नजारे देखने को मिल जाते हैं। मसलन, नई-नई बनी सड़क को कुछ दिन बाद फिर से इसलिए उधेड़ना पड़ जाता है, क्योंकि पानी की लाइन बिछाई जानी है। इसी तरह, अलग-अलग समय पर काम चलते रहते हैं। ऐसे उदाहरण भी सामने आते हैं, जिसमें एक ही प्रवृत्ति के काम अलग-अलग महकमे कर रहे होते हैं। मुख्य सचिव ने इस बात को भी अपने पत्र में रेखांकित किया है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग से कहा है कि वह रोड कटिंग के स्पष्ट मानक बनाए और यह व्यवस्था कराए कि डीएम की अनुमति के बगैर कोई विभाग रोड कंिटंग न कर पाए।
मुख्य सचिव ने पत्र में विभागों के रवैये पर गहरी नाराजगी प्रकट की है। उन्होंने कहा है कि यह देखा जा रहा है कि योजनाओं के प्रस्ताव कैबिनेट में प्रस्तुत करने से पहले जमीनी स्तर पर उसका परीक्षण नहीं किया जा रहा है। इस वजह से योजनाओं का असल लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने विभाग को मितव्ययिता व वित्तीय अनुशासन का ख्याल रखने की नसीहत भी दी है।