खून की प्यासी सड़के, तेज रफ्तार मौत का कारण- जिसे समझना क्यों है जरूरी ?
विगत रात्री ONGC चौक पर हुयी घटना रूह को झकझोरने वाली

अभय कुमार –
बताते चले की आये दिन सड़क दुर्गघटना की जानकारी हमारे आस पास व देश दुनिया की हमारे सामने आती रहती है, किसी कारण दुर्घटनाए होती है इसकी जानकारी भी मिलती रहती है, इसके साथ साथ इन दुर्घटनाओ से बचने के लिए क्या करने चाहिए इसके उपाय की भी जानकारी समय समय पर मिलती रहती है. पुलिस प्रसासन की तरफ से भी समय समय पर यातायात नियमों के पालन करने का जागरूकता अभियान चलाया जाता है, बावजूद इसके आखिर हम किस अंधी दौड़ का हिस्सा बनते जा रहे है, यह इतनी घटनाओ के बाद नए घटना के आमंत्रण समझ से परे है.जनादेश टीम ने इन घटनाओ पर अध्ययन करने का प्रयास किया तो कई तथ्य सामने आये जो अधिकतर सड़क दुर्घनाओ को आमंत्रित करते है, ज्यादातर युवा वर्ग के लोगो के साथ हो रही घटनाओ का एक अलग ही पहलू अध्ययन मे सामने आता है जो बेहद चौकाने वाला और धातक है.अब आईये बात करते है घटनाओ के आमंत्रित करने के तरीको के बारे मे.
1- युवावर्ग तेज रफ्तार को अपनी काबिलियत समझ रखा है की जो तेज रफ्तार मे गाड़ी चलाएगा वह अपने सर्किल मे बड़ा यानि हर तरह से काबिल माना जायेगा.
2- आजकल के दुर्घनाओ का एक अहम कारण नशा का अत्यधिक प्रयोग भी माना गया है, इसमे भी युवावर्ग इस होड़ मे लगा है की कौन कितना ज़्यदा और कितने प्रकार का नशा कर सकता है.
3- दुर्घटनाओ का एक और मुख्य वजह यात्रा करते समय ध्यान कही और व किसी अन्य कार्य मे व्यस्त होना.
आइये अब जानते है इन घटनाओ के बाद लोगो की प्रतिक्रियाये कुछ लोग इसे नियति बोलकर पल्ला झाड देते है तो खुछ इतनी ही आयु शेष थी कह कर निकल जाते है, पर मुख्य तथ्य तक पहुंचने का कोई प्रयास नहीं करता जो हमारे व हमारे आने वाली पीढीयो को जागरूक कर सके, अक्सर हम यह भूल जाते है की नियति भी कर्म के अनुसार कार्य करने पर मजबूर हो जाती है, आखिर कोई व्यक्ति मोह माया के इस संसार से अपने को कैसे मुक्त कर लेता है यह सोचने समझने का बिषय बस्तु है पर आज के समय मे इसके लिए टाइम किसके पास है, वही दूसरी तरफ जो व्यक्ति इस बात पर मनन करते है वही नियति से साथ साथ कर्म के दम पर अपनी जीवन रेखा को बदल देते है, जो नहीं कर पाते यानि जो नियति द्वारा निर्धारित मानडंदो के विपरीत जाते है वही अकाल मृत्यु को प्राप्त होते है और तब तक उनकी आत्मा तब तक मृत्युलोक मे विचरण करती है ज़ब तक परमपिता परमात्मा द्वारा बनाई जीवन की कार्यावधि समाप्त नहीं हो जाती है. और भी तमाम तथ्य है जो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देगी पर गौर करने वाली बाते आज के युवावर्ग के लिए जननी जरूरी है. समाज की मुख्यधारा से दिगभर्मित युवा जिन्हे जीवन के उद्देश्यों का सही अर्थ नहीं पता जो नशे व समाज की अन्य बुराइयों को अपना परम् कर्तव्य बना लिए है जिन्हे अपने परिवार व समाज से कोई मतलब नहीं जिन्हे परमात्मा द्वारा निर्धारित कार्यों को नहीं करना है वही अकाल मृत्यु को प्राप्त होते है, हम यह नहीं कहने की दुर्घनाये केवल इन्ही वजह से नहीं होती वह तकनीकी कारणों व समयावधि पूर्ण होने पर भी होती है जिसकी दर कम होती है. अब हमारे युवाओं को समझना होगा की हम समाज के साथ कदम मिलाकर चलना चाहते है क्या फिर समाज की कुरीतियों मे मग्न होकर अकाल मृत्यु को प्राप्त होना है.
आज परिवार के मुखिया व अन्य सदस्यों को भी सोचना व समझना होगा की आज हो रही घटनाओ के पीछे कही न कही परिवार के लोगो से मिली छूट व हमारा वर्तमान परिवेश जो हमारे परिवार के अंदर देखने को मिलता है जिस वजह से बच्चे बिगड़ते चले जाते है और समय से पहले अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते है, इसलिए सबसे पहले परिवारिक माहौल ठीक करना अनिवार्य है जिससे बच्चो को कुरीतियों से बंचित किया जा सके !