गोदियाल-माहरा की खटपट, कांग्रेस कैसे दौडे़गी सरपट
केदारनाथ उपचुनाव के बहाने तेज हुई पार्टी में अंदरूनी कलह, टांग खिंचाई

जनादेश एक्सप्रेस/देहरादून
केदारनाथ उपचुनाव के लिए मैदान सज चुका है। ऐलान हो चुका है, मगर कांग्रेस की गाड़ी सरपट दौड़ने से पहले बडे़ नेताओं की खटपट की खबरों ने आलाकमान को बेचैन कर दिया है। केदारनाथ में मुकाबला मोदी की भाजपा से है, लेकिन कांग्रेस के नेता विरोधियों से पहले अपनों पर ही तलवार चलाने लगे हैं। ताजा मामला केदारनाथ सीट पर पार्टी प्रत्याशी के चयन के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से जुड़ा है। पर्यवेक्षकों के नामों का ऐलान हो जाने के बाद चली जोर आजमाइश का यह नतीजा निकला कि हाईकमान को कुछ परिवर्तनों के साथ दोबारा से सूची जारी करनी पड़ी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के ना चाहते हुए भी कददावर नेता गणेश गोदियाल को मुख्य पर्यवेक्षक बनाना पड़ा।
दरअसल, पार्टी के भीतर वर्चस्व की लड़ाई के चलते करण माहरा व गणेश गोदियाल दो विपरीत धु्रव की तरह नजर आ रहे हैं। गढ़वाल सीट पर गणेश गोदियाल ने जिस तरह मजबूती से चुनाव लड़ा और उसके बाद बद्रीनाथ उपचुनाव में पार्टी की जीत के लिए काम किया, उससे कांग्रेस में उनके नंबर बढे़ है। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल गढ़वाल क्षेत्र में पार्टी के सबसे मजबूत नेता के तौर पर स्थापित हो रहे हैं। दूसरी तरफ, कुमाउं क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले करण माहरा भले ही काफी समय से कांग्रेस प्रमुख हैं, लेकिन उत्तराखंड स्तरीय नेता बतौर स्थापित होने के लिए उन्हें अब भी मेहनत करनी पड़ रही है। फिर यह भी तथ्य अपनी जगह है कि गोदियाल को पार्टी ने जब उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही अध्यक्ष पद से हटाया था, तो उनकी जगह माहरा को ही कमान मिली थी। इन स्थितियों के बीच, दोनों नेताओं के रिश्ते शुरू से ही सहज नहीं रहे हैं और इनके बीच की अदावत सार्वजनिक होती रही है।
ताजा मामला केदारनाथ उपचुनाव के लिए पर्यवेक्षकों से जुड़ा है। पार्टी का एक वर्ग चाहता था कि गोदियाल ने चूंकि बद्रीनाथ उपचुनाव में अच्छा काम किया है और वह उस गढ़वाल लोक सभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं, जिसके अंतर्गत केदारनाथ क्षेत्र आता है। लिहाजा उन्हें पर्यवेक्षक बनाया जाना चाहिए। मगर बताया जा रहा है कि माहरा के दबाव के कारण ऐसा नहीं हो पाया। पर्यवेक्षकों की जो सूची निकली, उसमें विधायक भुवन कापड़ी और वीरेंद्र जाती को पर्यवेक्षक बनाया गया। पार्टी के भीतर हो-हल्ला हुआ, तो प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को संशोधित सूची जारी करनी पड़ी। इस सूची में मुख्य पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल को बनाया गया है। दो पुराने पर्यवेक्षकों को बरकरार रखते हुए बद्रीनाथ विधायक लखपत बुटोला को भी इस टीम में शामिल किया गया है। अब इस टीम को ही टिकट के दावेदारों का पैनल तैयार करना है। प्रत्याशी चयन का फैसला दिल्ली से ही होगा। पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के मसले पर हुई खींचतान प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के दौरान भी सामने आने का अंदेशा बन हुआ है। कांग्रेस हाईकमान किस तरह से सब कुछ नियंत्रित करता है, यह देखने वाली बात होगी।