विश्व

पाकिस्तान अखबार की ओछी हरकत

‘द डॉन’ ने संपादकीय में अपने देश में हत्याओं के लिए भारत पर मढ़े आरोप, लेकिन सबूत नहीं हैं.

अभय कुमार –

द डॉन कहता है कि पाकिस्तान की संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए, लेकिन भारत की संप्रभुता को खंडित करने की साजिशें सदा रचता आया है।

पाकिस्तान में कुख्यात आतंकियों की रहस्यमयी मौतों पर पाकिस्तान कनाडा की राह पर चल निकला है। उसका ये दावा है कि ये हत्याएं भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ का है। इसको लेकर पाकिस्तान के एक अखबार ‘द डॉन’ ने अपने एडिटोरियल में ये दावा किया। अपने दावे को सिद्ध करने के लिए पाकिस्तानी अखबार बचकाना तर्क देता है और कहता है कि चूंकि मरने वाले सभी आतंकी (पाकिस्तान इन्हें सशस्त्र समूह) कश्मीर केंद्रित थे।

पाकिस्तान ये आरोप ब्रिटिश अखबार द गॉर्जियन की उस रिपोर्ट के आधार पर लगा रहा है, जिसमें पाकिस्तानी इंटेलीजेंस के अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि पाकिस्तान में ये हत्याएं भारतीय खुफिया एजेंसियों ने करवाई हैं। हालांकि, कनाडा की ही तरह केवल कल्पनाशीलता की उड़ान भर रहा है। वो आरोप तो लगा रहा है, लेकिन सबूत नहीं दिखा रहा है। भारत विरोधी मानसिकता से सने द गॉर्जियन जैसे विदेशी अखबार के झूठ की पोल इसलिए भी खुल जाती है कि अगर सच में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पास कोई सबूत होता (जिसका वो दावा कर रही है) तो वह भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र तक जाने से नहीं हिचकता।

पाकिस्तान कहता है कि उसके देश में 2020 से अब तक कम से कम 20 लोगों की हत्या कर दी गई, जिनकी हत्या हुई वो खुद पाकिस्तान समेत भारत में भी कई आतंकी वारदातों में शामिल रहे हैं। अब इसी को आधार बनाकर वह भारत को इसके लिए दोषी साबित करना चाहता है, लेकिन उसके पास कोई सबूत नहीं है। अपने एडिटोरियल में पाकिस्तानी अखबार खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की बात करता है। जबकि, यह स्पष्ट तथ्य है कि पिछले साल जून में कनाडा में ही निज्जर की अज्ञात लोगों ने हत्या की और तब से अगस्त तक कनाडा इस पर चुप रहता है। सितंबर में दिल्ली में G-20 की बैठकों के बाद जब कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रुडो वापस कनाडा लौटते हैं।

वहां लौटते ही उन्हें इस बात का आत्मज्ञान होता है कि निज्जर की हत्या में भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ का हाथ है। इसके बाद वो भारत पर आरोप मढ़ देते हैं। पूर्वाग्रह से ग्रस्त ट्रुडो ने सोचा कि भारत माफी मागेगा, लेकिन भारत ने सबूत मांग लिया। जिस तरह से अब पाकिस्तानी अखबार काल्पनिक सबूत की बात कर रहा है, ठीक उसी तरह से कनाडा भी ये कहता था कि उसके पास इस बात के सबूत हैं, लेकिन वह भारत को सबूत दे नहीं रहा था।

‘डॉन’ कहता है कि इस्लामाबाद को पाकिस्तान के अपने मित्र राष्ट्रों की सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर ये सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों के लिए तो नहीं किया जा रहा है। पाकिस्तानी अखबार कहता है कि भारत को पाकिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। लेकिन इस तरह की बेतुकी बाते करने वाले पाकिस्तान को ये समझ आना चाहिए कि भारत वह देश है, जिसने कभी किसी भी देश पर पहले हमला नहीं किया।

दूसरी ओर पाकिस्तान लगातार कश्मीर समेत पूरे भारत में आतंकी गतिविधियों को चलाने की कोशिश करता रहता है। भारत के कुछ कट्टरपंथियों को फंडिंग करके वह देश के अंदर ही माहौल बिगाड़ने में लगा रहता है। होना यह चाहिए था कि पाकिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों की जगह अपने देश के विकास के लिए काम करता तो उसका ये हाल ही न होता। खुद पाकिस्तान आतंकियों को पाल-पोष रहा है। आस्तीन में सांप पालेगा तो आतंक रूपी ये सांप उसे डसेगा ही।.

Janadesh Express

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