दिल्ली हाईकोर्ट– देश के कानून का पालन करना होगा !
कोई भी प्रणाली बदनाम करने का प्लेटफार्म नहीं हो सकती - दिल्ली हाईकोर्ट

अभय कुमार —
दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि…. कोई भी प्रणाली बदनाम करने का प्लेटफार्म नहीं हो सकती, देश के कानून का पालन करना होगा!
खबर है कि…. दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सोमवार को विकिपीडिया की एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमें वे सिंगल बेंच के उस आदेश को चुनौती दे रहे थे, जिसका उद्देश्य विकिपीडिया पर प्रकाशित एक विवरण को संपादित करने वाले व्यक्ति की पहचान उजागर करना था.
खबरों की मानें तो…. यह विवरण न्यूज एजेंसी के बारे में प्रकाशित किया गया था, जिसमें विकिपीडिया ने उसे भारत सरकार का प्रोपेगैंडा टूल बताया था.
इस मामले में सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अगली सुनवाई 16 अक्टूबर 2024 को होगी.
विकिपीडिया की ओर से यह तर्क पेश किया गया कि विवरण संपादित करने वाले का नाम बताना उनकी निजता की नीति का उल्लंघन होगा, जिस पर अदालत का कहना था कि- यदि वे नाम नहीं बताएंगे, तो अदालत उस व्यक्ति का रुख कैसे जान पायेगी?
अदालत ने विकिपीडिया को चेतावनी दी कि- वे किसी भी व्यक्ति को बदनाम करने का प्लेटफार्म नहीं हो सकते हैं, आप एक सेवा प्रदाता हैं, आपको न्यूज एजेंसी के संपादक का नाम बताना होगा.
याद रहे…. इस मामले में सिंगल बेंच के 5 सितंबर 2024 के आदेश का उल्लंघन करने के लिए विकिपीडिया के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था, यही नहीं…. जस्टिस नवीन चावला का कहना था कि- यदि आगे भी आदेश का पालन नहीं किया गया, तो अदालत कड़े कदम उठाएगी.
जब इस मामले में विकिपीडिया ने यह कहा कि- उसका मुख्यालय भारत में नहीं है, तो…. हाईकोर्ट ने कहा कि- यह कोई मायने नहीं रखता, यदि आप देश के कानून का पालन नहीं करेंगे, तो आपको यहां काम करने का अधिकार नहीं है.
उल्लेखनीय है कि…. न्यूज एजेंसी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि विकिपीडिया ने उसके बारे में अपमानजनक कंटेंट पोस्ट करने की अनुमति दी है, जिसमें न्यूज एजेंसी का विवरण देते हुए लिखा गया है कि- वो सरकार का प्रोपेगैंडा टूल है, इससे न्यूज एजेंसी की छवि खराब हो रही है.
जब विकिपीडिया की ओर से कहा गया कि- यूजर किसी भी सूचना को संपादित करता है, इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि- ऐसा होने के बावजूद विकिपीडिया अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है, आपको देश के कानून का पालन करना होगा!