देश

अग्निबीर योजना -हाय तौबा करने वालों की समझ से परे

वर्तमान परिवेश व पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की घटना से शायद समझ नहीं आप रहा ?

अभय कुमार की रिपोर्ट —

अग्नि वीर योजना पर  समाज के तथाकथित बुद्धिजीवी प्रवर्ग के लोगो ने अग्निवीर योजना शुरू होने पर हाय तौबा मचा रखी थी,  शायद उन्हें यह नहीं पता था इस योजना को शुरू करने के पीछे 2047 कि रणनीति व वैश्विक कूटनीति को विफल करना था, अग्नि वीर योजना से और कुछ नहीं तो कम से कम हर घर में एक ट्रेंड योद्धा तो तैयार हो जाएगा,  जो समय आने पर हर विषम परिस्थितियों में अपने मान सम्मान और संस्कृति के लिए आवाज को बुलंद कर सकेगा. तथाकथित बुद्धिजीवी  लोगों को यह सोचना चाहिए  कि देश को हर परिस्थिति से सामना करने के लिए तैयार रहना आज के परिवेश में अति आवश्यक है. भारत के बढ़ते कदम को देखते हुए विदेशी ताकते  अपना कूटनीति करना प्रारंभ कर चुकी हैं, पर उन्हें यह शायद अंदाजा नहीं भारत वर्तमान से 20 साल आगे की तरफ सोच कर चलने के लिए प्रतिबद्ध है  वह समय और था जब भारत को गुलाम होना पड़ा था, आज का भारत हर परिस्थिति से दो दो हाथ करने के लिए तैयार खड़ा है, ऐसा नहीं की वर्तमान की सरकार ने कुछ ऐसे कार्य नहीं किया जो समाज के  साथ तालमेल बनाने में असमर्थ रहा  अथवा या कहा  क्यों कार्यों का सही तालमेल नहीं बैठाया जा सका सका, या यूं कहें  की तालमेल  तो सही बैठा पर कुछ लोगों के दीगभ्रमित करने पर व्यवस्थाएं कुछ अलग हो गई, और वैश्विक पटल पर  भारत में हुए इन घटनाओं की चर्चाएं हुई  और इन्हीं चर्चाओं के बीच विदेशी ताकतों ने अपना घुसपैठ भारत के अंदर शुरू किया, ऐसा नहीं किया ताकते  वहां से व्यक्तियों को प्लांट करती हैं  अपितु  विदेशी ताकते  हिंदुस्तान के ही कुछ मानसिंह  जैसे लोगों का चयन करती है और उन्हें भारत के विरुद्ध खड़ा करने का कार्य करती है इन सभी तथ्यों को मध्य नजर रखते हुए आने वाले भविष्य का चिंतन करते हुए  अग्नि वीर योजना की शुरुआत हुई जिससे हिंदुस्तान की हर युवा को  देश सेवा करने का मौका मिल सके और हर घर में एक योद्धा तैयार हो सके.  सरकार के द्वारा किए जा रहे कार्यों की  केवल आलोचना एकमात्र विकल्प हो गया है विपक्ष या अन्य नेताओं का परंतु नया विचार करना होगा  यह आलोचना वैश्विक पटल पर हमारे देश की छवि को किस प्रकार धूमिल करती है. हम यह नहीं कहते  कि आप आलोचना न करें  क्योंकि बिना आलोचना के  सरकारे भ्रमित हो सकती है, परंतु आलोचना वही होनी चाहिए जिससे देश की छवि धूमल ना हो. देश के मुद्दों को  उसके अंदर बैठकर  आपसी तालमेल से  हल किया जाए ना की वैश्विक पटल पर लाया जाए . कुछ भी कहे  हिंदुस्तान के बढ़ चले हैं कदम  जो किसी भी वैश्विक ताकतों के रोकने से नहीं रुकेंगे और बहुत जल्द भारत विश्व गुरु सपना साकार करेगा .

Janadesh Express

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