पंचायतों में थर्ड पार्टी जांच का ऐलान, घिरे महाराज, मचा तूफान
चुनाव के माहौल के बीच सतपाल के बयान से सरकार का असहज होना तय

जनादेश एक्सप्रेस/देहरादून
उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों में चुनाव का माहौल है। अगले महीने पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इन स्थितियों के बीच, पंचायतों में थर्ड पार्टी जांच के विभागीय मंत्री सतपाल महाराज के ऐलान ने आग में घी डालने का काम कर दिया है। पंचायत संगठनों ने उनके खिलाफ गोलबंदी कर ली है। महाराज पर आरोपों की बौछार शुरू हो गई है। जगह-जगह विरोध का ऐलान कर दिया गया है। महाराज के ऐलान से धामी सरकार का असहज होना तय माना जा रहा है। हालांकि महाराज का कहना है कि जिन पंचायतों का काम सही है, उन्हें घबराने की क्या जरूरत है।
पंचायतों में हुए निर्माण कार्यों पर सरकार को अनियमितताओं की शिकायतें मिली हैं। पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने ऐलान किया है कि पंचायतों के कार्यों की थर्ड पार्टी जांच कराई जाएगी। दरअसल, महाराज के ऐलान में भले ही कुछ गलत न हो, लेकिन इसकी टाइमिंग गलत मानी जा रही है। पंचायतों में अनियमितताओं की शिकातयें नई नहीं हैं और इनकी थर्ड पार्टी जांच के लिए पहले काफी समय सरकार के पास था, लेकिन तब कार्रवाई नहीं की गई। चुनाव के माहौल के बीच इस ऐलान ने पंचायतों में पक्ष-विपक्ष की राजनीति को तेज कर दिया है। पंचायत संगठन तो महाराज की घेराबदी में जुट गए हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के संयोजक जगत मार्तोलिया ने तो मत्री से यह तक कह दिया है कि पहले वह अपने मठ, आश्रमों और विधायक निधि से कराए गए कार्यों की थर्ड पार्टी जांच करा लें। जांच के नाम पर पंचायत प्रतिनिधियों को डराने का काम किया जा रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और मंत्री का जमकर विरोध होगा।
पहले ही सरकार से खफा हैं पंचायत प्रतिनिधि
-पंचायत प्रतिनिधि सरकार के सामने लगातार यह मांग उठा रहे हैं कि पंचायतों के कार्यकाल का दो वर्ष और बढ़ा दिया जाए। इसके पीछे वह दो वर्ष कोविड-19 के कारण विकास कार्य ना होने की वजह बता रहे हैं। हरिद्वार में पंचायत चुनाव दो वर्ष बाद होने हैं। पंचायत प्रतिनिधि हरिद्वार के साथ ही सभी जिलों के चुनाव कराने पर जोर दे रहे हैं, मगर सरकार ने इससे साफ इनकार कर दिया है। हालांकि पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने भी कार्यकाल दो वर्ष बढ़ाने की पैरवी की थी, लेकिन शासन के अफसरां ने विरोध में जो तर्क रखे, उसे महाराज काट नहीं पाए।