उत्तराखंड

उत्तराखंड में मुद्दों पर उबाल, मुश्किल में फंस रही सरकार

उत्तरकाशी का बवाल, भू-कानून, उपनल और छात्र संघ चुनाव मसले पर जोर-आजमाइश

 

जनादेश एक्सप्रेस/देहरादून
इन दिनों उत्तराखंड में मुद्दों पर उबाल है। झंडे-डंडे निकले हुए हैं और सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। धामी सरकार इस कोशिश में है कि जितनी जल्दी हो सके, इन मसलों पर उपजी स्थिति को काबू कर लिया जाए। इसके लिए प्रयास तेज हो गए हैं। हालांकि सीएम पुष्कर सिंह धामी को उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से इन मामलों को निबटाने में उस तरह की सहायता नहीं मिल पा रही, जैसी अपेक्षित है। चार मसले मौजूदा समय मे सरकार का इम्तिहान ले रहे हैं। केदारनाथ उपचुनाव और उसके बाद सर पर खडे़ नगर निकाय और पंचायत चुनाव को देखते हुए भी सरकार के सामने चुनौती बड़ी है।

धर्मनगरी उत्तरकाशी का बवाल
-काशी विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी इन दिनों उबल रही है। एक मस्जिद को अवैध बताते हुए हिंदू संगठन उग्र आंदोलन कर रहे हैं, जबकि प्रशासन इस मस्जिद को वैध बता रहा है। हिंदू संगठनों के जुलूस-प्रदर्शन के दौरान दो दिन पहले जमकर बवाल हुआ है और लाठीचार्ज, पथराव की घटना सामने आई है। इसके बाद, करीब 200 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं। उत्तरकाशी की गंगा व यमुना घाटी से लेकर आस-पास के जिलों तक में प्रशासन के खिलाफ संगठन लामबंद हो गए हैं। चार नवंबर को महापंचायत बुलाई गई है, जिससे लगता है कि मामला अभी लंबा खिचेगा।

भू-कानून, मूल निवास आंदोलन
-इन दो मुद्दों को लेकर आंदोलन पहले से चल रहा है, लेकिन एक बार फिर से इस पर तेजी दिख रही है। यूकेडी की सफल तांडव रैली के बाद अब दस नवंबर को हरिद्वार में संघर्ष समिति ने महारैली का कार्यक्रम दिया है। इसके बाद, 26 नवंबर से शहीद स्मारक देहरादून में भूख हड़ताल का कार्यक्रम प्रस्तावित किया गया है। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में ये मुद्दे और गरमी पकड़ेगे, तो मुश्किलें बढे़ंगी। हालांकि राज्य सरकार भी इस बात को जोर देकर कह रही है कि बजट सत्र में वह एक सशक्त भू-कानून प्रदेश में लाने जा रही है।

उपनलकर्मियों की पक्की नौकरी
-कई-कई वर्षों से सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे उपनल कर्मचारियों को पक्की नौकरी का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गरम है। दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कुछ समय पूर्व प्रदेश के 25 हजार करीब उपनल कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया था। इसमें उनकी पक्की नौकरी या फिर समान कार्य, समान वेतन देने की बात कही गई थी। उत्तराखंड सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी, लेकिन वहां से उसे कोई राहत नहीं मिल पाई और हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहा। सरकार एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है, जिस पर उपनल कर्मचारी आग बबूला हैं। सरकार पक्की नौकरी या समान कार्य समान वेतन देने के संबंध में आर्थिक बोझ की बात कर रही है। विपक्ष खुलकर उपनल कर्मचारियों के साथ खड़ा है।

छात्रसंघ चुनाव न होने से गुस्सा
-उत्तराखंड के तमाम डिग्री काॅलेज व यूनिवर्सिटी इस वक्त छात्रों के आंदोलन की जद में हैं। दरअसल, छात्र संघ चुनाव न होने के कारण छात्र गुस्से में हैं। घोषित शैक्षणिक कैलेंडर के मुताबिक, 30 सितंबर तक सभी जगह छात्र सघ चुनाव करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा, जहां सरकार ने दलील दी कि विश्वविद्यालय/काॅलेज प्रशासन की लापरवाही के कारण चुनाव नहीं हुए। सरकार ने हाईकोर्ट के सामने कहा है कि अब चुनाव नहीं कराए जा सकते। इसके बाद, हाईकोर्ट ने भी यह मामला निस्तारित कर दिया है। मगर छात्र संगठन सरकार के खिलाफ मुखर हैं और आंदोलन को और जोरदार बनान की रणनीति तैयार कर रहे हैं।

Janadesh Express

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