सीएम साहब! अपने जेल विभाग को जरा टाइट तो कीजिए
कैदियों की कारस्तानी से आए दिन हो रही है जेल विभाग की फजीहत

जनादेश एक्सप्रेस/देहरादून
उत्तराखंड में कैदियों ने जेल विभाग की पेशानी पर बल ला दिए हैं। सरकार का चिंतित होना भी लाजिमी है। कोविड काल में पैरोल व अंतरिम जमानत पर रिहा किए गए 500 कैदी जेल लौटने को तैयार नहीं है। जेल विभाग का सर चकरा रहा है कि वो कौन से जतन करे, जो ये कैदी जेल की बैरकों में वापस आ जाएं। यह मुद्दा लगातार गरम हो रहा है। इस मसले पर जेल विभाग को कोई राह सूझती, इससे पहले हरिद्वार की रोशनाबाद जेल से दो कैदियों के भागने की खबर ने अफसरों की और फजीहत करा दी है। ऐसे में सीएम पुष्कर सिंह धामी पर निगाहें हैं, कि वह जेल विभाग को टाइट करने के लिए क्या करते हैं। जेल विभाग सीएम के पास ही है।
उत्तराखंड की जेल गाहे बगाहे सुर्खियों में आती रही हैं। सुरक्षा को लेकर एक ठोस सिस्टम अभी तक बन नहीं पाया है। ताजा मामले में एक बार फिर से कोविड काल के उन 500 कैदियों का जिक्र चर्चा में हैं, जो लौटकर नहीं आ रहे हैं। कोविड काल में कैदियों की जान की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य से जुड़े पहलु को देखकर सरकार ने पैरोल और अंतरिम जमानत पर उन्हें छोड़ने में दरियादिली दिखाई थी। मगर जेल विभाग जितना दरियादिल बना, उतनी दरियादिली जेल लौटने में कैदी नहीं दिखा रहे हैं। जेल विभाग इस मामले में घिर रहा है, तो उसने अब हाथ पैर मारने शुरू किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब जेल विभाग ऐेसे कैदियों की जेल वापसी के लिए उन पर इनाम घोषित करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
वैसे, हरिद्वार से विजयदशमी के दिन आई एक खबर से भी जेल विभाग की फजीहत हो रही है, जिसमें बताया गया है कि एक दिन पहले यानी शनिवार की रात को रोशनाबाद जेल से दो कैदी भाग गए है। कहा तो ये जा रहा है कि जेल में चल रहे निर्माण कार्य और रामलीला के मंचन का कैदियों ने भरपूर फायदा उठाया है, लेकिन उन्हें भगाने में कार्मिकों की लापरवाही का तय माना जा रहा है। इसके अलावा, मिलीभगत की आशंका हर बार की तरह इस बार भी सिर उठाकर खड़ी है।