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16 साल पहले चला न्यायालय का पत्र ,10 किलोमीटर की यात्रा कर नहीं पहुंच सका बेउर जेल !

कमाल है! ऐसा भी होता है की न्यायालय जैसे न्याय के पत्र को 10 किलोमीटर की दुरी तय करने मे लग गए 16 वर्ष उस बेगुनाह का क्या जिसने 16 वर्षो तक किया हो रिहाई का इंतजार

न्यायव्यवस्था में भी कई बार ऐसी गड़बड़ियां हो जाती हैं कि- निर्दोष बेवजह सजा पा जाते हैं.

अभय कुमार की कलम से —

फास्ट ट्रैक कोर्ट पटना- 5 ने हत्या के एक आपराधिक मामले में 16 वर्ष पहले आरोपित सुजीत कुमार उर्फ लाठी सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था, लेकिन…. बरी होने के 16 साल बाद भी कोर्ट का आदेश अब तक बेऊर जेल नहीं पहुंचा, लिहाजा…. बरी होकर भी वह जेल में ही रहा.

खबरों की मानें तो…. बेऊर जेल में बंद लाठी सिंह के आवेदन पर सुनवाई करने के बाद पटना जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फास्ट ट्रैक कोर्ट-5 के कार्यालय से रिपोर्ट मांगी है.

इस मामले में अगली सुनवाई 1 अक्टूबर 2024 को होगी.

उल्लेखनीय है कि…. करीब 16 वर्ष से रिहाई आदेश बेऊर जेल नहीं पहुंचने पर सुजीत कुमार के वकील ने जिला न्यायाधीश के कोर्ट में क्रिमिनल मिसलेनियस आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया है कि- फास्ट ट्रैक कोर्ट-5 ने 12 नवंबर 2008 को पुनपुन थाना कांड संख्या 29/2004 में आरोपी लाठी सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था, पर जेल से मुक्त करने का आदेश बेऊर जेल नहीं पहुंचा है.

खबरों पर भरोसा करें तो…. इसका खुलासा तब हुआ, जब पटना हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद परिहार बोर्ड ने हत्या के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास से सजायाफ्ता सुजीत सिंह को बेऊर जेल से मुक्त करने आदेश दिया, इस आदेश के बाद भी लाठी सिंह बेऊर जेल से रिहा नहीं हुआ, क्योंकि…. लाठी सिंह दूसरे मामले पुनपुन थाना कांड संख्या 29/2004 में बरी होने के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट से उसकी रिहाई का आदेश बेऊर जेल नहीं पहुंचा!

 

Janadesh Express

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