जनादेश पड़ताल (रिश्वतखोरी पर प्रहार )

केजरीवाल पर अमेरिका व जर्मनी का स्टेमेंट संदेह के घेरे मे ?

अभय कुमार की रिपोर्ट –

* महज कुछ समय पहले केजरीवाल की गिनती कही नहीं थी और गिसफ्तारी होते ही विदेशी ताकतों के पेट मे दर्द समझ से परे !
* इन विदेशी शक्तियों को केवल केजरीवाल ही क्यों दिखे हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर यह लोग कहां थे !
* नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे भारत की बढ़ती संप्रभुता अमेरिका व जर्मनी जैसे देशो को रास नहीं आई जो केजरीवाल के जरिये भारतीय राजनीती मे कुछ अलग करने की मंशा पाले हुए थे, जो केजरीवाल की गिरफ्तारी से ध्वस्त हो गई बौखलाहट तो लाजमी है.

बताते चलें कि आज देश में एक बड़ा मुद्दा केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर उठा हुआ है, हमारे कुछ मीडिया बंधु इसे मोदी की चूक कहते हैं और कुछ लोग इसे गलत करार दे रहे है.  आईये अब हम इंटरनल कुछ तथ्यों एक नजर डालते हैं. वही मोदी  मैजिक जिसे 2014 लोकसभा में देखा गया फिर एक बार लोकसभा 19 में देखा गया जो व्यक्ति देश के अंदर कुछ ऐसा ऐतिहासिक कदम कदम उठाने के लिए संविधान और नियम को ध्यान में रखकर के कार्य किया उस व्यक्ति से केजरीवाल की गिरफ्तारी संविधान और न्यायिक प्रणाली के अनुसार नहीं की जाने की गुंजाइश कैसे की जा सकती है. यह समझने की बात है की जिस गिरफ्तारी पर हाय तौबा मची हुई है, यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं  कि केजरीवाल जैसा पढ़ा लिखा आईआरएस अधिकारी कभी गलती नहीं कर सकता की पर इतिहास गवाह रहा है  की गलतियां अच्छे अच्छे से हुई है. कुछ ने गलतियों को समय पर सुधार लिया, कुछ गलती पर गलती करते चले गए, जिसे भ्रष्टाचार की प्रकाष्ठा का रूप दिया गया.  अब मुख्य मुद्दे पर आते हैं एक तरफ हमारे मीडिया बंधु समाज के तथाकथित प्रबुद्ध जीबी वर्क के लोग, अन्य विशेषज्ञ जहां एक तरफ मोदी के ताबूत के आखिरी कील केजरीवाल की गिरफ्तारी को कहते हुए नजर आ रहे हैं कुछ लोग मोदी की गलती कहते हुए नजर आ रहे हैं, कुछ लोग कुछ अन्य परिभाषा दे रहे हैं, और इसी बीच अमेरिका जैसे संप्रभुत्व वाला देश जर्मनी जैसा देश केजरीवाल की गिरफ्तारी पर आपत्ति दर्ज करता है यूं कहें की टिप्पणी करता है, तो एक बात तो समझ लेनी चाहिए कि कहीं ना कहीं इन दोनों देशों की केजरीवाल के माध्यम से इस देश में कोई बड़ी मनसा रही होगी जो नहीं पूर्ण होता देख इन लोगों ने प्रक्रियाएं जारी की, सोचने लायक बात यह भी है कि किसी देश की आंतरिक कानूनी प्रक्रियाओं में किसी अन्य देश को टिप्पणी करने का अधिकार है भी या नहीं, अगर नहीं तो फिर अमेरिका और जर्मनी जैसे देश केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी क्यों करते हैं, क्या वाकई केजरीवाल के माध्यम से कोई बहुत बड़ा षड्यंत्र देश के अंदर होने वाला था जो ना हो सका, अथवा या फिर यूं कहें  कि अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों का केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी करना लाजमी है, अगर ऐसा है तो फिर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर या हाय तौबा क्यों नहीं हुई. अब देश के अंदर घटित होने वाली इन घटनाओं पर अगर एक नजर जल जाए  तो इसके पीछे कहीं ना कहीं कोई तो षड्यंत्र जरूर है, समय आने पर इसका भी खुलासा हो ही जाएगा परंतु हमारे देश के कुछ मीडिया कर्मियों को यह नसीहत है की सही वह सटीक एवं निष्पक्ष पत्रकारिता भी करनी चाहिए जो देश हित में हो और लोकतंत्र के चौथे पिलर को मजबूती प्रदान करें.

Janadesh Express

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